THE 5-SECOND TRICK FOR LYRICS OF SHIV CHALISA

The 5-Second Trick For lyrics of shiv chalisa

The 5-Second Trick For lyrics of shiv chalisa

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त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

तदा एव काश्चन परीक्षाः समाप्ताः भवन्ति।

राधा चालीसा - जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

शंकरं, शंप्रदं, सज्जनानंददं, शैल – कन्या – वरं, परमरम्यं ।

अर्थ- हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

Glory to Girija’s consort Shiva, who is compassionate towards the destitute, who generally protects the saintly, the moon on whose forehead sheds its stunning lustre, As well as shiva chalisa lyrics in whose ears would be the pendants of the cobra hood.

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक कलश में शुद्ध जल भरकर रखें।

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